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Wednesday, May 24, 2023

*प्रसिद्ध काशी उत्तरकाशी में विख्यात ज्योतिष देवता/ कंडार देवता /न्याय का देवता/ सुपर कोतवाल की महिमा पर खास COVERAGE*


 प्रसिद्ध काशी उत्तरकाशी में विख्यात ज्योतिष देवता /कंडार देवता /न्याय का देवता/ सुपर कोतवाल

प्रसिद्ध काशी पूर्व में वाराणसी की बनारस काशी और उत्तर में उत्तरकाशी में विख्यात ज्योतिष देवता/ कंडार देवता /न्याय का देवता /सुपर कोतवाल नाम से प्राचीन मंदिर स्थित है । जो कि अनेक श्रद्धालुओं का आस्था एवं जीवन के अनेक फैसला और न्याय का केंद्र भी समझा जाता है ।

       जगतगुरु आद्य शंकराचार्य सरस्वती धर्म की स्थापनार्थ उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया और जहां-जहां का दौरा किया, वहीं पर शिव मंदिर की स्थापना की। तहसील भटवाड़ी के अंतर्गत धराली गांव से होते हुए गंगोत्री की यात्रा की और धराली में गंगा नदी के किनारे एक विशाल मंदिर समूह की रचना की, जिनमें शिवलिंग एवं अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों की स्थापना की थी। इतिहासकार उमारमण सेमवाल ने बताया कि वर्ष 1803 में आए भूकंप के कारण सुक्खी गांव का पहाड़ गंगा नदी में जा गिरा, जिससे गंगा नदी का प्रवाह अवरूद्ध हुआ और बाढ़ आ गई। बाढ़ आने से धराली में बने मंदिर समूह ध्वस्त होकर गंगा के प्रवाह के साथ बह गए, जिनमें से कुछ मूर्तियां गंगा नदी के किनारे वाले हिस्सों में दब गई होगी।

बताया जाता है कि उत्तरकाशी के बाड़ाहाट में एक किसान द्वारा अपने खेतों की जुताई करते वक्त हल की

फाल पर दो मूर्ति लगी, जिसकी सूचना उसने लोगों को दी। जन समूह द्वारा उस जगह की खुदाई की गई तो दो मूर्तियां जमीन से निकली, जिसकी पहचान तत्कालीन विद्वानों शिवगण बीरभद्र और बलभद्र के रूप में की जब तत्कालीन राजा को इसकी सूचना मिली तो राजा ने उन दोनों मूर्तियों को अपने राजशाही ठाकुरद्वारे में उन्हें अपने देवताओं के नीचे स्थापित कर दिया और पूजन करने लगा। कुछ समय पश्चात ये मूर्तियां अपने चमत्कार दिखाने लगीं। राजा अपने पंडित के साथ नित्य पूजा अर्चना करता था। एक दिन नीचे रखी मूर्तियां स्वयं ऊपर चली गई और राजा के ठाकुरद्वार में रखे देवता नीचे आ जाते। ठाकुरद्वारे में पूजा करने वाले पंडित ने जब इसकी जानकारी राजा को दी तो राजा ने स्वयं इन दोनों मूर्तियों को अपने हाथो से नीचे रखा और स्वयं दरवाजा बंदकर चाबी लगाकर अपने पास रख ली। दूसरे दिन सुबह पूजा के समय जब ठाकुरद्वारे को खोला गया तो देखा कि वे दोनो मूर्ति ऊपर और अन्य मूर्तियां स्वयं नीचे आ रखी हैं। राजा ने इस चमत्कार को देखकर मन में पुकार लगाई कि यदि ये कोई देवता है तो मेरे सपनों में आए और अपने उचित स्थान पर स्थापित करने का मार्गदर्शन करे। उस रात राजा को सपना आया और दोनों मूर्तियों में से एक ने राजा को बोला कि मेरा स्थानसिखरेश्वर महादेव के साथ है। वहीं पर विमलेश्वर महादेव का मंदिर है। उसमें मुझे स्थापित करें। दूसरी को द्वारी गांव में मंदिर में स्थापित करने को कहा।

राजा दोनों मूर्तियां कंडी में लेकर उत्तरकाशी पहुंचे और बताये स्थान एक मूर्ति को विमलेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित किया तथा दूसरी मूर्ति को द्वारी गांव में स्थापित किया। राजा द्वारा कंडी में उत्तरकाशी लाने से ये मूर्तियां कंडार देवता के नाम से प्रचलित हुई। विमलेश्वर मंदिर में राजा ने कंडार देवता के पूजन को पंडित की नियुक्ति की तब से संगली गांव के पंडित कंडार देवता का भी पूजन करने लगे।

विमलेश्वर महादेव का मंदिर संग्राली गांव से दूर होने के कारण शीतकाल में व रात्रि में पंडितों को पूजन करने में परेशानियां हुई तो कंडार देवता ने पंडितों को गांव में ही मंदिर बनाकर स्थापित करने कहा. तब पुजारियों द्वारा गांव में मंदिर बनवाकर कंडार देवता को स्थापित किया और तब से सपूज्य रखते आ रहे हैं। गांव की मूर्ति भी कंडार देवता के नाम से ही प्रचलित हुई। दोनों मूर्तियां बाड़ाहाट और टकनौर क्षेत्र के दर्जनों गांवों के आस्था का केंद्र है। पूरे क्षेत्र में ये दोनों देवता ज्योतिषीय देवता के रूप में भी जाने जाते हैं। पूरे क्षेत्र के लोग अपने शादी-ब्याह में कुंडली मिलान, धार्मिक व शुभ कार्यों के शुभमुहूर्त कंडार देवता से ही करवाते हैं तथा अपनी आपत्ति विपत्ति में व भविष्य संबंधी प्रश्नों को लेकर कंडार देवता के पास बड़ी श्रद्धा से जाते हैं और अपनी समस्या का समाधान करवाते हैं। यदि किसी हिन्दु धर्मानुयायियों को जन्म
देवता के रूप में भी जाने जाते हैं। पूरे क्षेत्र के लोग अपने शादी-ब्याह में कुंडली मिलान, धार्मिक व शुभ कार्यों के शुभमुहूर्त कंडार देवता से ही करवाते हैं तथा अपनी आपत्ति विपत्ति में व भविष्य संबंधी प्रश्नों को लेकर कंडार देवता के पास बड़ी श्रद्धा से जाते हैं और अपनी समस्या का समाधान करवाते हैं। यदि किसी हिन्दु धर्मानुयायियों की जन्म कुण्डली नहीं बनी है और कुंडली मिलान कर शादी करवाने चाहते हैं। तो ऐसे लोग कंडार देवता के पास ही जाते हैं और देवता द्वारा सटीक कुण्डली बनाई जाकर मिलान किया जाता है। कंडार देवता ज्योतिष देवता के रूप में पूरे क्षेत्र में विख्यात है।

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