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Friday, June 30, 2023

गंगा घाटी में भी लहलहाएगी अब यमुना घाटी के लाल धान की खेती*




 गंगा घाटी में भी लहलहाएगी अब यमुना घाटी के लाल धान की खेती


*गंगा घाटी में भी लहलहाएगी अब यमुना घाटी के लाल धान की खेती*

    अपनी खास रंगत और लज्जत के साथ ही औषधीय गुणों के लिए विख्यात रवांई क्षेत्र के लाल धान की फसल अब जिले की गंगा घाटी में भी लहलहाएगी। जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला की पहल पर कृषि विभाग ने गंगा घाटी के लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्रफल की खेती में इस साल लाल धान की पैदावार उगाने की तैयारी की है। जिलाधिकारी ने आज उतरौं गॉंव में ग्रामीणों के साथ लाल धान की पौध की रोपाई कर इस अभियान की शुरूआत की।
    दुनिया के कुछ चुनिंदा हिस्सों में उगने वाले लाल धान की देश और दुनियां में काफी मॉंग है। लाल चावल में आम चावल की  तुलना में कई गुना अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं और लो ग्लाईसीमिक इंडेक्स के गुण से युक्त यह धान मधुमेह तथा उच्च रक्तचा के रोगियों के लिए उपयुक्त माना जाना है। चेहरे की रंगत को कायम रखने में भी लाल चावल सहायक माना जाता है। इसके साथ ही इसमें कैंसररोधी गुण भी पाए जाते हैं। इन्हीं औषधीय गुणों के कारण लाल धान की मॉंग और कीमत आम धान की तुलना में काफी अधिक है।
    उत्तरकाशी जिले के रवांई क्षेत्र यमुना व टौंस नदी के मध्यवर्ती इलाकों में लाल धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती रही है और रवाईं के लाल धान ने अपनी अलग पहचान बनाई है। पुरोला के रामा सिंराईं के मीलों तक पसरे ढलानों से लेकर कमल सिराई तक का सरसब्ज इलाका लाल धान की राजधानी कहा जा सकता है। हाल के वर्षों में लालधान की मॉग बाहरी क्षेत्रों के अलावा स्थानीय स्तर पर भी काफी बढ़ी है लेकिन इसका उत्पादन सीमित क्षेत्र में होने के कारण बाजार की मॉंग पूरी नहीं हो पा रही है। लाल चावल का बाजार मूल्य आम तौर पर प्रतिकिलो 120 रू. या उससे अधिक देखा गया है।
    लाल धान के उत्पादन से किसानों की आजीविका के स्तर में वृद्धि की व्यापक संभावना को देखते हुए जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला की पहल पर कृषि विभाग ने लाल धान के रकवे को रवाईं क्षेत्र से बाहर तक विस्तार देकर जिले की गंगा घाटी के चिन्यालीसौड़, डंुडा और भटवाड़ी ब्लॉक के 30 से अधिक गांवों में लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसे उगाने की योजना बनाई है। इस मुहिम के तहत पुरोला क्षेत्र से 60 कुंतल बीज लाकर धान की नर्सरी तैयार की गई और अब इसकी पौध खेतों में रोपे जाने के लिए तैयार है। इस पहल को जमीन पर उतारने के लिए खुद जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने आज भटवाड़ी ब्लॉक के उतरौं गॉंव जाकर खेत में पावर बीडर से जुताई कर धान की रोपाई की शुरूआत करवाई।  जिलाधिकारी के साथ ही मुख्य कृषि अधिकारी जे.पी. तिवारी भी धान की रोपाई में शामिल रहे। मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि पहले चरण में गंगा घाटी के लगभग 600 किसानों को लाल धान उगाने की मुहिम में शामिल किया गया है। इस प्रयास को अगले दौर में और अधिक विस्तार दिया जाएगा। 
    लाल धान की रोपाई में जिलाधिकारी को अपने बीच पाकर ग्रामीण काफी उत्साहित और अभिभूत नजर आए। इस मौके पर हलवे का वितरण करने के साथ ही ग्रामीण महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाकर रोपाई के इस पर्व का जश्न मनाया और लोक देवताओं से लाल धान की खेती की सफलता की कामना की। ग्रामीणों ने प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि लालधान की खेती की यह प्रयोग उनकी जिन्दगी में बदलाव का नया दौर ला सकता है।
    इस मौके पर ग्रामीणों की मॉंग पर जिलाधिकारी गॉंव में सिंचाई की सुविधा को दुरस्त किए जाने के लिए पर्याप्त मात्रा में लपेटा पाईप की व्यवस्था करने सहित गूल को दुरस्त करने हेतु भी लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दूरभाष पर निर्देश देते हुए कहा कि यह सब  इंतजाम एक दो दिन में कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को गुणवत्तायुक्त चारा उत्पादन के लिए नैपियर घास की पौध भी वितरित की।
ग्रामीण महिलाओं एवं स्थानीय कृषकों  के प्रयास से गंगा घाटी में भी लहलहाएगी अब यमुना घाटी के लाल धान की खेती




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