धार्मिक पत्रकारिता में देखिए यमुनोत्री धाम के मुख्य परिसर एवं मुख्य स्रोत से यमुना जी के शीतकालीन स्वरूप पर ग्राउंड जीरो की कवरेज महेश बहुगुणा के साथ 8126216516
*धार्मिक पत्रकारिता में देखिए यमुनोत्री धाम के मुख्य परिसर से ग्राउंड जीरो की कवरेज महेश बहुगुणा के साथ 8126216516*
*विज्ञान पर्यावरण एवं धार्मिक पत्रकारिता में देखिए यमुनोत्री धाम की यात्रा पर सीधे ग्राउंड जीरो की कवरेज महेश बहुगुणा के साथ 81262 16516*
यमुनोत्री धाम की यात्रा पर श्रद्धालुओ व भक्तगणों के प्रशासन की व्यवस्था पर ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट
*धार्मिक पत्रकारिता में देखिए यमुनोत्री धाम के मुख्य परिसर एवं मुख्य स्रोत से यमुना जी के शीतकालीन स्वरूप पर ग्राउंड जीरो की कवरेज महेश बहुगुणा के साथ 8126216516*
*रिपोर्ट BY महेश बहुगुणा*:
NOTE: *जानें यमुनोत्री धाम एवं यमुना जी के महात्म्य एवम विस्तृत कवरेज*
यमुना जी को अनेक नाम से जाना जाता है *यमुना/कालिंदी/जमुना /पाप हरिणी/ तपन तनया*
यमुना जी का यमुना जी नाम इसलिए पड़ा क्योंकि सूर्य पुत्री यमुना और यमराज एवम शनिदेव की बहन यम्मी से बनी यमुनोत्री ।
कालिंदी पर्वत से मां का प्राकट्य होता है इसीलिए इसको कालिंदी कहा जाता है। और कुछ विद्वानों के अनुसार ऐसे भी बताया जाता है जयमुनि ऋषि की कई वर्षों की तपस्या पश्चात मां यमुना जी का प्राकट्य हुआ है इसलिए भी जमुना जी कहा जाता है।
यमुनोत्री धाम के कुंड में स्नान करने से पापों का हरण हो जाता है इसीलिए इसको पापहरिणी कहा जाता है ।
कुछ ऋषि मुनियों एवं विद्वानों के अनुसार ऐसे बताया जाता है कलिंद पर्वत पर जामुन के पेड़ के नजदीकी से हिमाद्री पिघलकर आगे बढ़ती हुई यमुनोत्री धाम में जमुना जी के रूप में मां का प्राकट्य होता है ।
सूर्य भगवान के बल ,बैग और तप से जन्मी सूर्यपपुत्री को तपन तनया नाम से भी जाना जाता है ।
कृष्ण भगवान की प्रमुख 8 पटरानियों में से एक यमुना जी भी हैं । वैसे कृष्ण भगवान की 16,108 पटरानिया या रूप में भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा एवं भगवान के प्रति समावेश रखती थी, ऐसा समझा जा सकता है।
सूर्य भगवान की दो पत्नियों संज्ञा और छाया संज्ञा के दो सन्तान यम और यमी और छाया का एक पुत्र शनि महाराज हुए।
यमुनोत्री धाम में 3 प्राकृतिक औषधियुक्त एवं गंधकयुक्त 3 गर्म जल कुंड में स्थान करने से पापों का हरण हो जाता है । यमुनोत्री धाम में सूर्यकुंड, विष्णुकुंड, द्रौपदीकुंड, तप्तकुंड आदि विद्यमान है।
125000 श्लोक वाले स्कंद पुराण के केदारखंड में यमुना जी का विस्तृत वर्णन मिलता है।
यमुनोत्री धाम के मुख्य परिसर के दाहिनी तरफ कुछ ही दूरी पर गरुड़ गंगा का प्राकट्य भी देखने को मिलता है ।
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