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Friday, February 21, 2025

*"मां गंगा यमुना की पुकार बद्री केदार का श्रृंगार" एपिसोड के लिए यशपाल बिष्ट की रिपोर्ट=7895041285*

"मां गंगा यमुना की पुकार बद्री केदार का श्रृंगार" एपिसोड के लिए यशपाल बिष्ट की रिपोर्ट=7895041285

*"पूछती है मां गंगा यमुना की अविरल धारा" एपिसोड के लिए यशपाल सिंह बिष्ट की रिपोर्ट =789504 1285*






 


दैनिक भास्कर।
उत्तरकाशी।
18फरवरी 2025
भाष्कर प्रतिनिधि डुंडा
*रसूखदार राजनीतिक मंच बनाकर गाँव में मना रहे हैं, जनपद स्थापना दिवस*

*जनपद के जन-प्रतिनिधि जनपद स्थापना दिवस पर खामोश*

*जनपद स्थापना दिवस मेले में पहुंचे मुख्य अतिथि फिर नहीं बन पाए मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक*
भाष्कर प्रतिनिधि डुंडा
उत्तरकाशी। डुंडा गाँव में एक ही परिवार द्वारा अपने परिवार के राजनीतिक संरक्षण के लिए राजनीतिक मंच बनाकर देवी वेणुका मंंदिर में देवी रेणुका के नाम से 24 फरवरी 2018 में तीन दिवसीय विकास एवं सांस्कृतिक मेले का शुभारम्भ करवाकर जहाँ गाँव को विकास मेले की सौगात दे दी, वहीं माँ भगवती मेला समिति के अध्यक्ष राजदीप परमार नें मेले को भव्य दिव्य बनानें के लिए कई दौर की बैठक मन्दिर में जारी रखी है, इसी विकास एवं सांस्कृतिक मेले को 8वीं बार जनपद स्थापना दिवस के रूप में सात दिन करनें की बात मेला समिति के सम्मुख रखी गई है।

निरंतर तीन से पांच और अब 7 दिवसीय मेला कर कुछ नए चेहरे राजनीतिक पृष्ठभूमि तलाशनें का ख्वाब भी देखते नजर आ रहे हैं, वैसे तो यह विकास एवं सांस्कृतिक मेला पहली बार 2018 में पूर्व ब्लॉक प्रमुख कनकपाल सिंह परमार की अगुवाई में शुरू किया गया, जिसके मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक विजयपाल सजवान रहे। विकास एवं सांस्कृतिक मेला को जनपद स्थापना दिवस का नाम देंनें वाले मंंदिर समिति अध्यक्ष राजदीप परमार भी मेले की फूक से राजनीतिक गुब्बारा उड़ानें की फिराक में हैं, गुब्बारा कितना ऊँचा जाता है, यह आनें वाला वक्त ही दिखायेगा।

आजाद भारत के प्रथम आम चुनाव 1952 में उत्तर प्रदेश की टिहरी विधान सभा के तत्कालीन प्रथम निर्दलीय विधायक स्व0 जयेंद्र सिंह बिष्ट नें बरसाली बाड़ाहाट से टिहरी विधानसभा की दूरी को विधायकी के अपनें प्रथम कार्यकाल में विपरीत परिस्थितियों में मापते हुए बाड़ाहाट को टिहरी जनपद से पृथक करनें की ठान ली थी।  

बतौर पूर्व प्रथम विधायक जयेंद्र बिष्ट नें अपनें दूर दृष्टा विजन, सरल स्वभाव, मधुर वाणी, और समाज की अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति की पीड़ा परेशानी को समझकर जनता का दिल जीत लिया था। लखनऊ विधान सभा भवन की दीवारें और लखनऊ की लाइब्रेरी आज भी प्रथम विधायक स्व0 बिष्ट की जन-कल्याणकारी योजनाओं, नीतियों, समाजिक समस्याओं और ऐतिहासिक कार्यों की गवाह हैं।

आजाद भारत के आजाद विधायक रहे स्व0 जयेंद्र बिष्ट नें प्रथम निर्दलीय चुनाव जीतकर ऐतिहासिक कार्य किए, जिसके चलते जनता नें उन्हें दूसरी बार निर्विरोध विधायक बनाकर उनके द्वारा किए कार्यो का इनाम देकर निर्विरोध विधायक बननें का पहला रिकॉर्ड उनके नाम कर दिया, भला नियति को शायद यही मंजूर था, कि बाड़ाहाट को टिहरी से अलग जिला बनानें की पूरी कार्यवाही बिष्ट नें पूरी कर दी थी, देवयोग से 10मई 1958 को उनका आकस्मिक निधन लखनऊ में हो गया। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार में उनके सहयोगी विधायक मंत्रियों नें उनकी मृत्यु के ठीक 1 वर्ष 8 माह बाद 24 फरवरी 1960 को टिहरी जनपद से उत्तरकाशी को पृथक जनपद घोषित कर स्व0 विधायक बिष्ट को सच्ची श्रद्धांजलि दे दी थी।

परंतु गंगोत्री विधानसभा और उत्तरकाशी की राजनीति में जनता द्वारा चुनें जानें वाले पूर्व वर्तमान विधायकों नें न तो पृथक जनपद करनें वाले पूर्व विधायक स्व0 जयेंद्र सिंह बिष्ट को याद किया और न ही पृथक जनपद उत्तरकाशी के स्थापना दिवस को याद कर सके। ऐसा नहीं कि पूर्व नेताओं, जन-प्रतिनिधियों को जनपद स्थापना दिवस की याद नहीं आयी, लेकिन यह उन नेताओं का गुणा भाग और विधायकों का राजनीतिक मंत्र रहा होगा।

बेशक पूर्व प्रमुख कनकपाल सिंह परमार नें सामाजिक कार्यकर्ताओं, गाँव के कुछ वरिष्ठजनों और नेताओं के साथ विकास मेले के लिए बैठक की होगी, लेकिन आज अगर वही विकास एवं सांस्कृतिक मेला जनपद स्थापना दिवस के रूप में मनाए जानें की चर्चा में है, तो सामाजिक चिंतकों,
सामाजिक संगठनों, समाजिक कार्यकर्ताओं, साहित्यकारों, शिक्षकों, जनपद के बुद्धिजीवियों, रण नीतिकारों, और छोटे बड़े राजनीतिकारों के साथ रायशुमारी परमार द्वारा नहीं की गई,

उस समय के पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुलदीप बिष्ट से पूछा गया तो बिष्ट नें कहा कि क्षेत्र का जन-प्रतिनिधि होते विकास एवं सांस्कृतिक मेले को लेकर मुझे भी विश्वास में नहीं लिया गया। मेरे गुरुओं नें मुझे जो पढाया होगा, मेरे बुजुर्गों नें जो समझाया होगा, और माँ बापों नें बताया होगा, उसे ताउम्र भूल नहीं सकता, उन्होंने शिक्षक पिता स्व0 प्रह्लाद सिंह बिष्ट को याद करते हुए कहा कि डुंडा में लगभग 18 साल तक बाल्य जीवन बिताया। मेले की जब नींव रखी गई थी तब कुलदीप बिष्ट जिला पंचायत सदस्य थे, उन्होंने कहा कि मां भगवती वेणुका का मुख्य गेट मां वेणुका देवी के नाम से ही योजना में रखा गया है। कुलदीप बिष्ट नें मुखर होकर कहा कि  देवी देवताओं पर बहस करना ठीक नहीं है, लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि डुंडा में माँ भगवती रेणुका की बहिन माँ भगवती वेणुका ही विराजती हैं, उन्होंने कहा कि माँ भगवती वेणुका के मुख्य द्वार को बतौर जिला पंचायत सदस्य वेणुका देवी के नाम से ही खोली बनाई गई है। शुभकामना संदेश देने के सवाल पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुलदीप बिष्ट नें बड़ी चतुराई से जबाब दिया कि सत्य बोलकर शुभकामना संदेश दूंगा तो बुजुर्ग, बुद्धिजीवी ग्रामवासी नहीं बल्कि युवा नाराज होंगे, और झूठ बोलकर शुभकामना संदेश देता हूँ, तो माँ भगवती वेणुका नाराज होंगी, उन्होंने बिना नाम लिए माँ के नाम, पहचान, आस्था और स्थापना दिवस पर खामोश बैठे नेताओं को चुटकी देते हुए कहा कि जनता, जनपद वासियों को मुगालते में न रखें।

हालांकि जनपद के बड़े जन-प्रतिनिधि एक गाँव क्षेत्र के वोट खराब होनें के डर से किसी गाँव में जनपद स्थापना दिवस मनानें पर खामोश देखे जा रहे हैं। लेकिन जिले के बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, समाज चिंतकों, सभ्य समाज की रीढ़ कहे जाने वाले शिक्षकों, जनपदवासियों के नाराज होनें का उनको विल्कुल भी डर नहीं रहा। अधिकांश जनपदवासी जनपद स्थापना दिवस को गाँव में मनानें को लेकर नाराज देखे जा रहे हैं।

जनपद वासियों का मत है कि जनपद स्थापना दिवस के लिए मेले की नींव डालनें की जरूरत नहीं थी, जनपद मुख्यालय में ही जिले का स्थापना दिवस मनाया जाना चाहिए था। जहाँ पौराणिक मेले, थौलों को राजनीतिक मंच बनाकर विलुप्त किया जा रहा है, यह 5सौ से हजार साल पुरानें प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां भगवती रेणुका देवी के 3 गते बैसाख मेले की परम्परा, आस्था, और पहचान के साथ छेड़खानी ही नहीं, उनकी बहिन माँ भगवती वेणुका के नाम, पहचान, आस्था पर बहुत बड़ी भूल है जो कुछ लोगों के राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करनें तक सीमित है। देवी देवताओं की आस्था, नाम, पहचान के साथ छेड़खानी कर राजनीतिक पद प्रतिष्ठा पाना उन नेताओं की कोरी पहचान के लिए ही नहीं गाँव, क्षेत्र, समाज की प्रगति, उन्नति, विकास के लिए भी बाधक है।

पूर्व विधायक विजयपाल सजवान के बतौर विशिष्ट अतिथि स्थापना दिवस पर मौन रहनें से जहाँ जनता अंदर ही अंदर नाराज दिखती नजर आ रही है, वहीं वर्तमान विधायक के जनपद में स्थापना दिवस को न मनानें की पहल न करनें से भी जनपदवासी नाराज होते भी देखे जा रहे हैं। जनपद स्थापना दिवस मुख्यालय में न मनाकर गाँव में मनाना पूर्व, वर्तमान नेताओं और मेला समिति का जनपद वासियों के साथ बहुत गन्दा मजाक है। कहीं न कहीं जनता इस मजाक को स्वीकार करते नहीं दिख रही है, वहीं मेला शुरू होंनें से लेकर मुख्य अतिथि बननें वाले नेताओं की कुर्सी चले जानें से देवी देवताओं के अप्रसन्न होंनें के संकेत भी बताए जा रहे हैं।

जनता के बीच चलती चर्चा से आपको बता दें कि पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नें मेले में शिरकत की राजनीतिक कुर्सी खो गए। पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवान भी कुर्सी पर नहीं बैठ पाए।  *जनपद स्थापना दिवस मेले में पहुंचे अधिकतर मुख्य अतिथि फिर नहीं बन पाए मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक*
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी मुख्य अतिथि बनाया गया था, लेकिन धामी मेले में मुख्य अतिथि पहुंचे नहीं थे। बेशक उसके बाद धामी आम चुनाव में हार गए थे लेकिन हारनें के बाद फिर भी मुख्यमंत्री पुष्कर धामी दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए थे, जनता का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मेले में मुख्य अतिथि आते तो मुख्यमंत्री नहीं बन पाते।

जन-प्रतिनिधि भले जनपद स्थापना दिवस के इस वर्तमान विषय पर मौन होकर राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। नव युवा राजनीतिक मंच राजनेताओं की पृष्ठभूमि तलाशता दिख रहा हो, वहीं जनता के मन में सवाल भी है कि माँ भगवती वेणुका मन्दिर में रेलवे लाईन की सर्वें हो चुकी है।

रेलवे लाईन आनें के बाद की चिंता जनपद वासियों के मन में पिछले दो तीन सालों से चल भी रही है। मेले के समय को 7 दिन कर जहाँ मंंदिर समिति को थोड़ा बहुत धन का लाभ होगा, गाँव के गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ उतना ही अधिक पड़ेगा। वहीं पूर्व की वेणुका और वर्तमान की रेणुका संस्कृति पर्यावरण संरक्षण  युवा मेला समिति लम्बे समय तक गांव में स्थापना दिवस मनाते रहनें की पहचान मिलनें की आस लगाकर भविष्य के लिए राजनीतिक पृष्ठभूमि तलासनें के सपनें सजाते देखती रहेगी। पूर्वजों के रीति, रिवाजों, पूर्व की अवधारणाओं, परम्पराओं, और देवी देवताओं की आस्था से छेड़खानी समाज के लिए बहुत बड़े नुकसान का संकेत हो सकती हैं।

देवी वेणुका के स्थल पर माँ रेणुका के मेले का आयोजन, औचित्यविहीन https://www.satyawani.com/2025/02/In-Uttarkashi-fair-organised-for-different-name-become-a-question.html


देवी वेणुका के स्थल पर माँ रेणुका के मेले का आयोजन, औचित्यविहीन https://www.satyawani.com/2025/02/In-Uttarkashi-fair-organised-for-different-name-become-a-question.html

*महेश बहुगुणा (MEDIA EPISOD ANCHOR & REPORTER TRAINING INSTRUCTOR)=8126216516*



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