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Monday, March 10, 2025

*उत्तरकाशी के मथौली गांव में घसियारी उत्सव आयोजन पर गणेश जोशी की खास कवरेज=9456302104*

उत्तरकाशी के मथौली गांव में घसियारी उत्सव आयोजन पर गणेश जोशी की खास कवरेज=9456302104*






*उत्तरकाशी के मथोली गाँव में घसियारी उत्सव का आयोजन: स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा*

*मुख्यमंत्री ने धार्मिक और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने पर दिया जोर*

*अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पर्वतारोही सविता कंसवाल को श्रद्धांजलि*

चिन्यालीसौड़/ उत्तरकाशी, 8 मार्च 2025 – उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं और प्रकृति के बीच गहरे संबंध को समर्पित तीन दिवसीय घसियारी उत्सव शुक्रवार से रविवार तक उत्तरकाशी के मथोली गाँव में आयोजित किया जा रहा है। इस उत्सव का उद्देश्य न केवल स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देना है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण पर्यटन को भी प्रोत्साहित करना है।

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर, पर्वतारोही सविता कंसवाल को श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने 2022 में द्रौपदी का डांडा (डीकेडी-2) चोटी से उतरते समय अपनी जान गंवा दी थी। सविता ने घसियारी उत्सव 2022 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिससे यह महोत्सव महिला सशक्तिकरण और स्थानीय पर्यटन को बढ़ाने के अपने लक्ष्य में सफल हो सका।

घसियारी उत्सव में घास काटने की प्रतियोगिताएँ, पारंपरिक खेल, कहानी सुनाने के कार्यक्रम, गढ़वाली लोक नृत्य एवं संगीत जैसे सांस्कृतिक प्रदर्शन किए गए। साथ ही, इस उत्सव ने स्थानीय कारीगरों और महिला उद्यमियों को अपने हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों का प्रदर्शन करने का मंच भी प्रदान किया।

इस वर्ष, उत्तराखंड राज्य पर्यटन विभाग के सहयोग से इस महोत्सव को और भी भव्य रूप दिया गया। 2022 में पहली बार यह उत्सव उत्तरकाशी के विकासखंड चिन्यालीसौड़ मथौली के ब्वारी गाँव में आयोजित किया गया था। तब से यह गाँव उत्तराखंड का पहला ऐसा स्थान बन गया है, जहाँ इस उत्सव को महिलाओं की पूर्ण भागीदारी के साथ मनाया जाता है, जिससे इसकी पारंपरिक विरासत संरक्षित रहती है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि तीर्थयात्रियों और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के उत्सव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह महोत्सव न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग को भी सशक्त बनाता है।

उत्तराखंड की घसियारियाँ, जो कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी अपनी आजीविका चलाती हैं, इस उत्सव का प्रमुख केंद्र हैं। इस महोत्सव के माध्यम से राज्य की पारंपरिक संस्कृति, महिलाओं की भूमिका और पर्यटन के नए आयामों को प्रस्तुत किया जा रहा है।

इसके अलावा, इस तरह के आयोजन राज्य में पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने में भी सहायक साबित हो सकते हैं। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण लोग मैदानी इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं। घसियारी उत्सव जैसे सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्रित आयोजनों से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं, जिससे लोग अपने गांवों में ही टिके रहने के लिए प्रेरित होंगे।

स्थानीय हस्तशिल्प, जैविक कृषि उत्पादों और पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देने से आर्थिक मजबूती मिलेगी, जिससे ग्रामीण महिलाओं और कारीगरों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा। साथ ही, पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनने से उत्तराखंड के गांवों की सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी, और युवा पीढ़ी को अपनी पारंपरिक विरासत से जोड़ने में मदद मिलेगी।

ऐसे उत्सव न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हैं, बल्कि क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का कार्य भी करते हैं।



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